हाईलाइट
- चुनावी प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन की आशंका
- HC का चुनाल टालने का अनुरोध
- पीएम की रैली और निर्देशों पर तंज
डिजिटल डेस्क,लखनऊ। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव टालने को लेकर हाईकार्ट इलाहाबाद के बयान के बाद विपक्ष की पार्टियों ने बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्ष की कई पार्टियां इसका विरोध करने लगी हैं दलों की ओर से खूब राजनीतिक बयानबाजी की जा रही है। विरोधी दल चुनाव टालने की बात को बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाला स्टेप बता रहे है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में यूपी चुनाव टालने वाले अनुरोध पर विरोध जताया गया है। सामना के संपादकीय में पीएम मोदी पर तंज करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद की सलाह का पालन नहीं करते है। एनसीपी के बयानों का समर्थन करते हुए शिवसेना ने कहा कि कि भाजपा के फायदे के लिए कोरोना की आड़ में विधानसभा चुनाव स्थगित किए जा सकते हैं। कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से अनुरोध करते हुए कहा था कि कोरोना महामारी के प्रसार पर रोक लगाने के लिए यूपी चुनाव को टाल दिया जाए। अदालत के इसी बयान पर बवाल मचा हुआ है।
शुक्रवार को एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक और मजीद मेमन ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार चुनाव वाले 5 राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है। उन्होंने यहा तक कह दिया कि राष्ट्रपति शासन की आड़ में केंद्र की बीजेपी सरकार कांग्रेस शासित पंजाब पर कब्जा करने की नाकाम हरकत कर सकती है। हालांकि, एनसीपी ने केंद्र से डोर-टू-डोर अभियानों को सीमित करने और रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया।
शिवसेना का कहना है कि पीएम मोदी राज्यों को तो चेतावनी देते है, लेकिन खुद अमल नहीं करते। संपादकीय में शिवसेना बीजेपी की यात्राओं को उल्लेख करते हुए कहते है कि अगले साल होने जा रहे चुनावों के प्रचार के चलते यूपी में बड़े पैमाने पर प्रधानमंत्री जमकर भीड़-भाड़ वाली रैलियां कर रहे है और फिर कोरोना स्थिति की समीक्षा करने के लिए दिल्ली की यात्रा कर रहे है और राज्यों को भीड़ से बचने की चेतावनी देते है। वहीं यूपी चुनाव टालने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुरोध पर शिवसेना ने नाराजगी व्यक्त की है। शिवसेना की तरफ से कहा गया है कि हाईकोर्ट राजनीति में न आए और कानून का पालन करे।